Tuesday, June 21, 2011

"सॉरी" की फैशनेबल दुनिया

आज कलियुग में अंग्रेजी के "सॉरी" शब्द का महत्व बहुत बढ़ गया है। इस शब्द की महिमा अपरम्पार है गलती छोटी हो या बड़ी ,सब की एक ही दवा है - "सॉरी" राह चलते किसी को गलती से टक्कर मार दी या किसी का दिल दुखा दिया ,सॉरी शब्द आप के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। आज कल इस शब्द को दिनचर्या में हम हजारो बार यूज कर ही लेते है हमारी हिंदी भाषा में सॉरी शब्द को एक विदेशज शब्द के रूप में मान्यता मिल ही चुकी है।पर क्या "सॉरी" हिंदी भाषा के वैकल्पिक शब्द "क्षमा " के विनम्रता और गंभीरता को समेट पता है। इस प्रश्न के अन्वेषण करने की इच्छा मेरे मन को हर वक्त उद्वेलित करती रहती है
अगर हम दोनों शब्दों - " क्षमा कीजियेगा " और "सॉरी" के उपयोग के समय अगर अपनी बॉडी-लैंग्वेज पर ध्यान दे तो ,सॉरी के प्रयोग के समय उपरी दिखावा सा लगता है, पर 'क्षमा कीजियेगा" में विनम्रता और भारतीयता दोनों की झलक मिल जाती है। क्षमा मांगते वक्त सहज एक निश्छल मुस्कान आपके चेहरे पर खिल जाती है,वही दूसरी ओर सॉरी का प्रयोग महज एक खानापूर्ति लगती है लेकिन क्या करे ,फैशन का जमाना है।इसमें जो दीखता है वही बिकता है। इसलिए अंग्रेजी सभ्यता के पर्याय बन चुके शब्द "सॉरी" का प्रयोग धड़ल्ले से जारी है। सभी दिशाओ में "सॉरी " रुपी गंगा बह रही है। सिर्फ आधी कुटिली मुस्कान के साथ हाथ उठाकर "सॉरी" कह देने से ही काम चल जाता है। जैसे फैशन के युग में किसी वस्तु की गारंटी नहीं होती ,ठीक उसी तरह सिर्फ "सॉरी" कहने से क्षमा मिल जाये ये जरुरी नहीं है। सॉरी कहने के बाद दुसरे के मन में क्या भाव उत्पन्न होते है यह देखना लाजमी होगा।
आधे मन से कहे गए "सॉरी" से सामने खड़े व्यक्ति के मन में क्षमा भाव उत्पन्न होने में संशय होता है ,क्योंकि ये शब्द सिर्फ खानापूर्ति का पर्याय रह गया है। पर दुसरे दृष्टिकोण से सोचिये, अगर अप रुककर विनम्र भाव से उस व्यक्ति से "क्षमा कीजियेगा भाईसाहब " कहे और दो मिनट अपने सहज मुस्कान से उसे प्रभावित करने के चेष्टा करे तो उस के मानस -पटल पर क्षमा के भाव सकते है। और अगर वो आपके व्यवहार से प्रसन्न हो जाये ,तो क्षमा मिल भी सकती है। पर खोखले शब्द "सॉरी" भले ही हलके फुल्के ढंग से प्रयोग किया जाये, पर क्षमा मांगने के भाव उसमे आएंगे ही नहीं।
"सॉरी" शब्द चाइनीज फास्ट फ़ूड की तरह है, हर गली-मोहल्ले में मिल जाये और फट से तैयार। सिर्फ एक झटके में बोल दो ,लगी तो तीर नहीं तो तुक्का। समाज में झल्लाहट में यह भी सुनाने को मिलता है-"किसी का गला भी कट दो और सॉरी बोल दो" यह वाक्यांश "सॉरी" की सामाजिक मानदंड को आपको समझाने के लिए काफी है।

भारतीय संस्कृति में एक लोकोक्ति बहुत ही प्रचलित है-"क्षमा बडन को चाहिए ......." पर यह लोकप्रिय लोकोक्ति पाश्चत्य शब्द "सॉरी" के तिलस्मी दुनिया में धूमिल होती जा रही है। पश्चिमीकरण के अंधे दौड़ में हम अपने संस्कृति से विमुख होते जा रहे है। हम "क्षमा" शब्द के विनम्रता को छोड़ पाखंडी शब्द "सॉरी" का दमन पकड़ रहे है। यह "सांस्कृतिक-प्रदुषण" का परिचायक है। पाश्चात्यीकरण के अंधे दौड़ में हम अपने संस्कृति को भूलते जा रहे है। अब समय गया है,हमें अपने आप को,अपने समाज को और अपने देश को इस "सांस्कृतिक प्रदुषण" से बचाने के प्रयास करे वरना वह दिन दूर नहीं जब पूर्वी भारतीय संस्कृति विलुप्त हो जाये और हम पश्चिम के सांस्कृतिक गुलामी के बेडो में हम बंध जाये। अब भी वक्त है- "जाग जाओ"

आज का मेरा यह "सार्थक प्रयत्न" आपको अपनी संस्कृति से जोड़ने में कितनी सहायक रही ,अपनी प्रतिक्रिया अवश्य देपहले इस विषय पर मै व्यंग लिखना चाहता था, लेकिन विषय की गंभीरता ने मुझे अपने चिंतन को आपके सामने रखने पर मजबूर कर दियाअगली बार इस विषय पर व्यंग लिखने का प्रयास करूँगा,आप सब समाजिक सरोकार से जुड़े इस ब्लॉग को अपनी आवाज़ बनाकर मेरी सोच को मज़बूत करे,यही मेरी हार्दिक गुज़ारिश है

2 comments:

  1. u have rightly pointed out that just saying 'sorry' in English; won't ease the pain of the person....but so is the case with the begging for pardon in Hindi.....what is more important is the feeling of the person who is in question.....how much the person is feeling after saying 'SORRY'......his/her emotions should be valued more than anything else.....

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  2. apke lekh ko padhkar to aisa lagta hai jaise kafi gehan addhyayan kiya hai apne is "SORRy"
    shabd ka....per kya wakai apko lagta hai ki sorry k sthan pe kshama kijiyega kehne se kisi
    k aahat man ko shant kiya ja sakta hai? bhavnaye dil me hoti hai na ki shabdo me saaf dil
    se chehre pe nishchhal aur masoom muskan k sath yadi sorry shabd bhi bola jaye to wo
    bhi utna hi prabhavi hota hai jitna ki kshama kijiyega......par yaha is bat k chintan ke bajaye
    ki hum mafi mange k liye kis shabd ka prayog kare hume ye sochna chahiye ki humare vyavhaar se
    humare kriya kalapo se kisi ka dil na dukhe aur jitna ho sake hum in shabdo se dur rhe qki
    "Ati sarvttra varjyate" bar bar hazar bar sorry aur kshama kijiyega jaise shabdo ka prayog kar
    hum unke mahatva ko khote chale jate hai aur ek waqt aisa ata hai jab inka astitva hi bemani
    ho jata hai reh jata hai to sirf khokhlapan aur kuchh nahi jo logo k aahat man pe marham ka kam
    nahi kar pata
    isliye cheshata ye honi chahiye ki hum jo bole saaf man aur bhavna k sath bole aur
    jitna ho sake in SORRY aur KSHAMA KIJIYEGA jaise shabdo se duri banaye na ki ye
    kise apnaye aur kise tayage.......

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